नई दिल्ली: अमेरिका द्वारा 180 से अधिक देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लागू करने की घोषणा के बाद भारतीय उद्योगों के लिए एक बड़ा अवसर सामने आया है। चीन और वियतनाम जैसे देशों की तुलना में भारत पर मात्र 26% टैरिफ लगाया गया है, जिससे भारतीय निर्यातकों को अन्य देशों के मुकाबले प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलेगी।
EY इंडिया के टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल के अनुसार, “भारत के फार्मास्युटिकल्स और टेक्सटाइल सेक्टर के लिए यह एक सुनहरा अवसर है। चीन और वियतनाम पर अधिक शुल्क लगाने से भारत इन क्षेत्रों में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का प्रमुख हिस्सा बन सकता है।”
उन्होंने कहा कि भारत की कंपनियों को इस मौके का पूरा लाभ उठाने की रणनीति बनानी चाहिए।
कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी ने कहा कि भारत के कृषि निर्यात को इस टैरिफ नीति से लाभ मिल सकता है। अमेरिका ने कई देशों के कृषि उत्पादों पर भारी शुल्क लगाया है, जबकि भारतीय कृषि उत्पादों को तुलनात्मक रूप से कम टैरिफ के तहत रखा गया है। इससे भारतीय मछली, चावल और अन्य उत्पादों का निर्यात बढ़ सकता है।
इंडियन फार्मास्युटिकल्स अलायंस के सेक्रेटरी जनरल सुदर्शन जैन ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय दवा उद्योग को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है, और यह नीति इसे मजबूत कर सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की इस नीति से भारत को दीर्घकालिक लाभ हो सकता है। चीन और यूरोपीय देशों की तुलना में भारत पर कम टैरिफ होने से भारतीय उद्योगों को वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने का मौका मिलेगा।
रेसिप्रोकल टैरिफ नीति के तहत भारत को अमेरिका के बाजार में नई संभावनाएं मिल रही हैं। कृषि, फार्मास्युटिकल्स और टेक्सटाइल जैसे सेक्टरों को इसका विशेष लाभ मिल सकता है। अब यह भारतीय कंपनियों पर निर्भर करता है कि वे इस मौके को किस तरह भुनाती हैं।
Sources:
Times of India
Reuters
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