Baba Amte's death anniversary in Hindi 2025
Baba Amte’s death anniversary in Hindi 2025: भारत की भूमि पर अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया है, जिन्होंने समाज की बेहतरी के लिए (Baba Amte’s death anniversary in Hindi 2025) अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्हीं में से एक थे मुरलीधर देवीदास आमटे, जिन्हें प्यार से “बाबा आमटे” कहा जाता है। बाबा आमटे न केवल एक समाज सुधारक थे, बल्कि एक मानवतावादी, वकील, और पर्यावरणविद् भी थे। उन्होंने कुष्ठ रोगियों के प्रति समाज की गलत धारणाओं को बदलने और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए अथक प्रयास किए। 9 फरवरी 2025 को बाबा आमटे की 111वीं पुण्यतिथि है। इस अवसर पर हम उनके जीवन, संघर्ष, और उनके द्वारा किए गए कार्यों को याद करते हैं
बाबा आमटे का जन्म 26 दिसंबर 1914 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले में हिंगणघाट नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता देवीदास आमटे ब्रिटिश सरकार में अधिकारी थे और उनकी माता लक्ष्मीबाई आमटे एक धार्मिक महिला थीं। बाबा आमटे का बचपन आर्थिक रूप से समृद्ध परिवार में बीता, लेकिन उन्होंने बचपन से ही गरीबों और वंचितों के प्रति संवेदनशीलता दिखाई।
उन्होंने नागपुर के मॉरिस कॉलेज से कानून की पढ़ाई की और वकील बन गए। हालांकि, उनका मन हमेशा समाज सेवा में लगा रहता था। उन्होंने जल्द ही वकालत छोड़ दी और समाज के लिए काम करने का फैसला किया।
बाबा आमटे ने अपने जीवन का उद्देश्य गरीबों और वंचितों की सेवा करना बना लिया। उन्होंने महसूस किया कि कुष्ठ रोगियों को समाज में बहुत ही हीन दृष्टि से देखा जाता है। उन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता था और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता था। बाबा आमटे ने इस स्थिति को बदलने का संकल्प लिया।
1949 में, उन्होंने महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में आनंदवन नामक एक आश्रम की स्थापना की। यह आश्रम कुष्ठ रोगियों के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल बन गया। यहां उन्होंने न केवल रोगियों का इलाज किया, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण भी दिए। आनंदवन आज भी एक प्रेरणादायक संस्था के रूप में काम कर रहा है।
बाबा आमटे ने कुष्ठ रोगियों के प्रति समाज की धारणा को बदलने के लिए अथक प्रयास किए। उन्होंने लोगों को समझाया कि कुष्ठ रोग एक संक्रामक बीमारी नहीं है और इससे पीड़ित लोगों के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने खुद कुष्ठ रोगियों के साथ रहकर उनकी देखभाल की और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया।
उनके इस कार्य ने न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में उन्हें प्रसिद्धि दिलाई। उन्हें कुष्ठ रोगियों के लिए किए गए कार्यों के लिए अनेक पुरस्कार और सम्मान मिले, जिनमें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, पद्म विभूषण, और गांधी शांति पुरस्कार शामिल हैं।
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बाबा आमटे न केवल कुष्ठ रोगियों के लिए काम करते थे, बल्कि वे पर्यावरण और सामाजिक न्याय के लिए भी संघर्ष करते थे। 1980 के दशक में, उन्होंने नर्मदा बचाओ आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। इस आंदोलन का उद्देश्य नर्मदा नदी पर बनने वाले बड़े बांधों के कारण विस्थापित होने वाले लोगों के अधिकारों की रक्षा करना था।
बाबा आमटे ने इस आंदोलन के माध्यम से सरकार और समाज का ध्यान पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक न्याय की ओर आकर्षित किया। उन्होंने कहा था, “मैं लड़ता हूं क्योंकि मैं जीवन से प्यार करता हूं। मैं लड़ता हूं क्योंकि मैं मानवता में विश्वास करता हूं।”
बाबा आमटे का जीवन मानवता और शांति के लिए समर्पित था। उन्होंने हमेशा अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। उनका मानना था कि सच्ची सेवा वही है जो बिना किसी भेदभाव के सभी के लिए की जाए।
उन्होंने अपने जीवन में कई चुनौतियों का सामना किया, लेकिन कभी हार नहीं मानी। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और समर्पण ने उन्हें एक महान नेता बना दिया। उनके कार्यों ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया और उन्हें एक नई दिशा दी।
बाबा आमटे का निधन 9 फरवरी 2008 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है। आनंदवन आश्रम आज भी कुष्ठ रोगियों और वंचितों की सेवा कर रहा है। उनके बेटे प्रकाश आमटे और विकास आमटे ने उनके कार्य को आगे बढ़ाया है और समाज सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
बाबा आमटे ने हमें सिखाया कि सच्ची मानवता वही है जो दूसरों के दुख को दूर करने के लिए काम करे। उनका जीवन हमें यह प्रेरणा देता है कि हमें हमेशा समाज के लिए कुछ करने की कोशिश करनी चाहिए।
बाबा आमटे की पुण्यतिथि (Baba Amte’s death anniversary in Hindi 2025) हमें उनके जीवन और संघर्ष को याद करने का अवसर देती है। उन्होंने अपने जीवन में जो कुछ भी किया, वह केवल समाज की भलाई के लिए था। उनके विचार और कार्य आज भी हमें प्रेरित करते हैं। उनकी पुण्यतिथि पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम उनके बताए मार्ग पर चलें और समाज के लिए कुछ अच्छा करें।
बाबा आमटे ने कहा था, “जीवन का उद्देश्य केवल जीना नहीं है, बल्कि दूसरों के जीवन को बेहतर बनाना है।” उनके ये शब्द हमें हमेशा याद रखने चाहिए और उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए।
बाबा आमटे, आपका जीवन और संघर्ष हमें हमेशा प्रेरित करेगा। आपकी पुण्यतिथि पर हम आपको कोटि-कोटि नमन करते हैं।
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