Budget 2025
Budget 2025: आज वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट के दौरान केंद्रीय बजट 2025-26 में लोकसभा चुनाव और चुनाव आयोग को नई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की खरीद के लिए अधिक फंड आवंटित किया गया है। चुनाव आयोग को ईवीएम की खरीद के लिए विधि मंत्रालय को 1,400 करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी गई है। विधि मंत्रालय चुनावी कानूनों और चुनाव प्रक्रिया से जुड़े विभिन्न पहलुओं के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बजट पेश करते हुए इन प्रावधानों की घोषणा की। इस बजट में लोकसभा चुनाव के लिए 500 करोड़ रुपये, मतदाताओं के पहचान पत्रों के लिए 300 करोड़ रुपये और अन्य चुनाव खर्चों के लिए 597.80 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
चुनाव निगरानी संस्था को नई ईवीएम की खरीद के लिए 18.72 करोड़ रुपये की अलग से फंडिंग की गई है। एक ईवीएम में न्यूनतम एक बैलेट यूनिट, एक कंट्रोल यूनिट और एक पेपर ट्रेल मशीन होती है। इस फंड का उपयोग कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट और वोटर वेरिफ़िएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) इकाइयों की खरीद, ईवीएम पर सहायक व्यय और अप्रचलित ईवीएम को नष्ट करने के लिए किया जाएगा।
ईवीएम का जीवनकाल लगभग 15 वर्षों का होता है। इसके बाद, चुनाव आयोग की तकनीकी विशेषज्ञ समिति की देखरेख में इनका निस्तारण किया जाता है।
भारत में संसदीय चुनावों की पूरी लागत केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाती है, जबकि राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की लागत संबंधित राज्य सरकारें उठाती हैं। लोकसभा चुनावों को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए इस बार 1,400 करोड़ रुपये से अधिक का बजट आवंटित किया गया है। चुनाव आयोग और अन्य संबंधित संस्थानों को यह राशि चुनावी प्रक्रिया को सुचारू और निष्पक्ष बनाने के लिए दी गई है।
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कानून मंत्रालय के अधिकारियों ने इस बजट आवंटन को एक “बुक कीपिंग” अभ्यास बताया, जिसका उद्देश्य चुनावों के दौरान होने वाले खर्चों की पूर्ति करना है। इस प्रक्रिया में विभिन्न एजेंसियों को उनके आवश्यक खर्चों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
मार्च 2024 में हुए लोकसभा चुनाव सात चरणों में संपन्न हुए थे। इनमें लगभग 97 करोड़ मतदाताओं ने भाग लिया था और वोटिंग ईवीएम के माध्यम से हुई थी। हालांकि, विपक्षी दलों ने ईवीएम को लेकर सवाल उठाए थे और चुनाव आयोग को ज्ञापन भी सौंपा था।
ईवीएम के उपयोग से मतदान प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और तेज़ बनाया गया है। इसमें वीवीपीएटी मशीन का समावेश भी किया गया है, जिससे मतदाता यह सत्यापित कर सकते हैं कि उनका मत सही तरीके से दर्ज किया गया है।
ईवीएम खरीद के लिए आवंटित राशि का उपयोग मुख्य रूप से निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए किया जाएगा:
भले ही चुनाव आयोग और सरकार ईवीएम को सुरक्षित और भरोसेमंद मानते हैं, लेकिन विपक्षी दलों ने बार-बार इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। विपक्ष का आरोप है कि ईवीएम में छेड़छाड़ संभव हो सकती है और इससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है।
हालांकि, चुनाव आयोग ने इन आरोपों को बार-बार खारिज किया है और यह स्पष्ट किया है कि ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित और स्वतंत्र रूप से काम करती हैं। वीवीपीएटी प्रणाली का समावेश भी इसी उद्देश्य से किया गया है ताकि मतदाता अपने वोट की पुष्टि कर सकें।
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बजट में चुनाव आयोग और ईवीएम खरीद के लिए पर्याप्त फंड आवंटित किया गया है। इससे चुनाव प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी। ईवीएम की खरीद और उनके रखरखाव के लिए आवंटित फंड का सही उपयोग सुनिश्चित करना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी होगी।
बढ़ते मतदाता आधार और चुनावी प्रक्रिया की जटिलताओं को देखते हुए, सरकार द्वारा किए गए ये बजट प्रावधान भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और मजबूत करेंगे। हालांकि, ईवीएम को लेकर विपक्षी दलों की चिंताओं को दूर करने के लिए सरकार और चुनाव आयोग को अधिक पारदर्शिता और जागरूकता लाने की आवश्यकता होगी।
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