Delhi Assembly Election: दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने 11 बजे एलजी सचिवालय पहुंचकर लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) विनय कुमार सक्सेना को अपना इस्तीफा सौंप दिया। यह कदम 8 फरवरी को घोषित हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उठाया गया, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शानदार जीत दर्ज की। इस जीत के साथ ही लगभग 26 साल बाद बीजेपी ने दिल्ली की सत्ता पर वापसी की है। आतिशी के इस्तीफे के साथ ही आम आदमी पार्टी (आप) का दिल्ली में दस साल तक चला शासन समाप्त हो गया है।
चुनाव नतीजों का विश्लेषण |Delhi Assembly Election|
दिल्ली विधानसभा की कुल 70 सीटों में से बीजेपी ने 48 सीटें जीती हैं, जबकि आम आदमी पार्टी केवल 22 सीटों पर सिमटकर रह गई। यह आप के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि पिछले दस सालों में यह पहली बार हुआ है जब पार्टी इतनी कम सीटों पर सिमट गई। वहीं, कांग्रेस पार्टी इस बार भी खाता नहीं खोल पाई और एक भी सीट जीतने में नाकाम रही। इस तरह, बीजेपी ने दिल्ली में पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया है और अब वह अगले पांच साल तक दिल्ली की सरकार चलाएगी।
आतिशी की जीत और केजरीवाल की हार
दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कालका जी सीट से चुनाव लड़ा और बीजेपी के प्रत्याशी रमेश बिधूड़ी को 900 वोटों के अंतर से हराकर जीत हासिल की। यह सीट आप के लिए महत्वपूर्ण थी, क्योंकि यहां से आतिशी ने पिछले चुनाव में भी जीत दर्ज की थी। हालांकि, आप के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से चुनाव हार गए। केजरीवाल को बीजेपी के उम्मीदवार प्रवेश वर्मा ने हराया। केजरीवाल की हार आप के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि वह पार्टी के सबसे बड़े चेहरे थे और उनकी हार से पार्टी के मनोबल पर गहरा असर पड़ा है।
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बीजेपी की वापसी |Delhi Assembly Election|
दिल्ली में बीजेपी की यह जीत ऐतिहासिक मानी जा रही है, क्योंकि पिछले 26 सालों में पार्टी दिल्ली की सत्ता में नहीं थी। 1998 के बाद पहली बार बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा में पूर्ण बहुमत हासिल किया है। इस जीत के पीछे पार्टी की मजबूत रणनीति, केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ और आप के खिलाफ मतदाताओं में बढ़ती नाराजगी को मुख्य वजह माना जा रहा है। बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार में आप सरकार की नीतियों और केजरीवाल के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे, जो मतदाताओं के बीच प्रभावी साबित हुए।
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