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Delhi Assembly Election Results: दिल्ली में जीत के बाद अब कौन बनेगा मुख्यमंत्री?, इस नेता को मिल सकती है कमान

Delhi Assembly Election Results

Delhi Assembly Election Results

Delhi Assembly Election Results: दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री (CM) किसे बनाएगी। चूंकि भाजपा ने दिल्ली में अपनी स्थिति मजबूत की है, ऐसे में यह सवाल और भी प्रासंगिक हो गया है कि पार्टी किसे दिल्ली की कमान सौंपेगी। क्या भाजपा किसी महिला नेता को यह जिम्मेदारी देगी या फिर जाट, गुर्जर, पंजाबी या पूर्वांचली समुदाय से किसी नेता का चयन करेगी? इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो गई है।

भाजपा के समक्ष चुनौती और संभावित विकल्प

भाजपा के लिए यह चुनाव केवल सत्ता हासिल करने का नहीं है, बल्कि दिल्ली की जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने का भी है। दिल्ली एक ऐसा राज्य है जहां विभिन्न समुदायों का मिश्रण है और यहां की राजनीति में जाति और समुदाय का बड़ा रोल होता है। ऐसे में भाजपा को सीएम पद के लिए ऐसे नेता का चयन करना होगा जो न केवल पार्टी के लिए फायदेमंद हो, बल्कि दिल्ली की जनता के बीच भी लोकप्रिय हो।

1. प्रवेश वर्मा: जाट समुदाय का प्रतिनिधित्व

प्रवेश वर्मा ने आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नई दिल्ली विधानसभा सीट पर हराकर अपनी दावेदारी मजबूत कर ली है। वह दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के पुत्र हैं और जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। जाट समुदाय दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में एक प्रभावशाली वोट बैंक है। अगर भाजपा प्रवेश वर्मा को सीएम पद के लिए चुनती है, तो इसका फायदा पार्टी को इन राज्यों में भी मिल सकता है।

2. वीरेंद्र सचदेवा: पंजाबी समुदाय का चेहरा

भाजपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा पंजाबी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। दिल्ली में पंजाबी वोटर्स की संख्या काफी अधिक है और उन्हें नजरअंदाज करना मुश्किल है। सचदेवा के नाम पर भी चर्चा हो रही है क्योंकि वह पंजाबी लॉबी को संतुष्ट कर सकते हैं और दिल्ली की सत्ता को सुचारू रूप से संभाल सकते हैं।

Delhi Assembly Election Results

3. मनोज तिवारी: पूर्वांचली समुदाय का नेता

मनोज तिवारी दिल्ली में पूर्वांचली समुदाय के सबसे बड़े नेता के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने कई बार दिल्ली के सबसे बड़े नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई है। पूर्वांचली समुदाय दिल्ली की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और तिवारी के नाम पर भी विचार किया जा सकता है।

4. रमेश बिधूड़ी: गुर्जर समुदाय का प्रतिनिधित्व

रमेश बिधूड़ी गुर्जर समुदाय के प्रतिनिधि के रूप में जाने जाते हैं। हालांकि, वह दिल्ली की सीएम आतिशी से बहुत कम अंतर से हार गए हैं, लेकिन उनकी दावेदारी अभी भी मजबूत है। गुर्जर समुदाय दिल्ली और आसपास के राज्यों में एक प्रभावशाली समुदाय है और भाजपा उन्हें नजरअंदाज नहीं कर सकती।

महिला नेताओं की दावेदारी

भाजपा के पास कई तेजतर्रार महिला नेता हैं जो सीएम पद के लिए उपयुक्त हैं। इनमें बांसुरी स्वराज, मीनाक्षी लेखी और स्मृति ईरानी शामिल हैं। ये तीनों नेता न केवल पार्टी के भीतर लोकप्रिय हैं, बल्कि जनता के बीच भी उनकी अच्छी पहचान है। महिला सीएम का चयन करने से भाजपा को आम आदमी पार्टी की महिला सीएम आतिशी के खिलाफ एक मजबूत काउंटर मिल सकता है। साथ ही, महिला वोटर्स के बीच भी यह चयन फायदेमंद होगा।

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डिप्टी सीएम की भूमिका

भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती यह है कि वह किसी एक समुदाय को सीएम पद देकर अन्य समुदायों को नाराज नहीं करना चाहती। ऐसे में, पार्टी डिप्टी सीएम की भूमिका का उपयोग कर सकती है। उदाहरण के लिए, अगर सीएम पद के लिए किसी एक समुदाय के नेता का चयन किया जाता है, तो डिप्टी सीएम की जिम्मेदारी किसी अन्य समुदाय के नेता को दी जा सकती है। इससे सभी समुदायों को संतुष्ट किया जा सकता है।

अन्य संभावित दावेदार

दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, यह सवाल अभी अनुत्तरित है। भाजपा के पास कई विकल्प हैं, लेकिन पार्टी को यह फैसला बहुत सोच-समझकर करना होगा। सीएम पद के लिए किसी एक समुदाय के नेता का चयन करने से अन्य समुदायों को नाराजगी हो सकती है। ऐसे में, भाजपा को एक ऐसे नेता का चयन करना होगा जो सभी समुदायों को संतुष्ट कर सके और दिल्ली की जनता के बीच लोकप्रिय हो। महिला नेताओं का चयन भी एक अच्छा विकल्प हो सकता है, क्योंकि इससे पार्टी को महिला वोटर्स का समर्थन मिल सकता है और आम आदमी पार्टी की महिला सीएम आतिशी के खिलाफ एक मजबूत काउंटर भी मिल सकता है।

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