Delhi Assembly Elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी उठापटक तेज हो गई है। चुनावी माहौल में राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने से पीछे नहीं हट रहीं। इस बार चुनाव आयोग को भी कई मामलों में सख्त कार्रवाई करनी पड़ी है।
सौरभ भारद्वाज के चुनावी दफ्तर पर कार्रवाई
ग्रेटर कैलाश विधानसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रत्याशी सौरभ भारद्वाज के अस्थाई चुनावी दफ्तर को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। एबीपी न्यूज की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि उनका चुनावी दफ्तर चिराग दिल्ली स्थित पोलिंग बूथ के ठीक सामने था, जो चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है।
चुनाव आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सौरभ भारद्वाज को अपने दफ्तर को तुरंत बंद करने और इसे शिफ्ट करने का आदेश दिया। ग्रेटर कैलाश के रिटर्निंग ऑफिसर की जांच में पाया गया कि दफ्तर बहुमंजिला इमारत के बेसमेंट में स्थित था। आयोग ने इसे आचार संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन मानते हुए कार्रवाई की।
सौरभ भारद्वाज ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि यह दफ्तर उनके पुराने विधायक कार्यालय के रूप में उपयोग होता था और इसके लिए चुनाव आयोग से उन्हें 20 जनवरी से 5 फरवरी तक की अनुमति भी मिली थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर चुनाव आयोग इसे बंद करने का आदेश देता है, तो वह आदेश का पालन करेंगे।
आतिशी ने रमेश बिधूड़ी पर लगाए आरोप
चुनावी विवादों में केवल सौरभ भारद्वाज ही नहीं, बल्कि कालकाजी सीट पर भी आचार संहिता उल्लंघन का मामला सामने आया है। आम आदमी पार्टी की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार और कालकाजी से प्रत्याशी आतिशी के चुनावी एजेंट ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रत्याशी रमेश बिधूड़ी पर आरोप लगाया है। उन्होंने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में कहा कि बिधूड़ी का चुनावी दफ्तर पोलिंग बूथ से मात्र 80 मीटर की दूरी पर स्थित है।
आतिशी के एजेंट ने यह दावा किया कि यह चुनाव आचार संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन है, क्योंकि पोलिंग बूथ के पास चुनावी प्रचार सामग्री या दफ्तर रखना नियमों के खिलाफ है। इस मामले पर चुनाव आयोग की ओर से जांच और कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।
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चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन के मुद्दे
चुनावी आचार संहिता का उद्देश्य निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव सुनिश्चित करना है। इसका उल्लंघन जनता के बीच गलत संदेश भेजता है और राजनीतिक दलों की छवि पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के इस मामले में देखा गया कि सत्ताधारी और विपक्षी दोनों पार्टियों के नेता आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कर रहे हैं।
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