Delhi Assembly Elections 2025
Delhi Assembly Elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को मतदान निर्धारित है, लेकिन इससे पहले आम आदमी पार्टी (आप) में आंतरिक कलह की खबरें सामने आ रही हैं। पार्टी के सात विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है, जिनमें महरौली के विधायक नरेश यादव, जनकपुरी के विधायक राजेश ऋषि, पालम से भावना गौड़, बिजवासन से भूपिंदर सिंह जून, आदर्श नगर से पवन शर्मा, कस्तूरबा नगर से मदनलाल, और त्रिलोकपुरी से रोहित महरौलिया शामिल हैं। इनमें से कई विधायक टिकट कटने से नाराज थे।
आप ने आगामी चुनावों के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी की है, जिसमें 18 मौजूदा विधायकों के टिकट काटे गए हैं। पार्टी ने 31 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिसमें 8 ऐसी सीटें हैं जहां पिछले चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। इसके अलावा, तीन सीटों पर मौजूदा विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं। पार्टी ने हारी हुई सीटों पर पुराने चेहरों को मौका दिया है, जबकि जीती हुई कई सीटों पर नए उम्मीदवार उतारे हैं।
पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की सीट भी बदली गई है। उन्हें पटपड़गंज की बजाय जंगपुरा से उम्मीदवार बनाया गया है। विधानसभा में डिप्टी स्पीकर राखी बिड़लान को मंगोलपुरी की बजाय मादीपुर से प्रत्याशी बनाया गया है। दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष गोपाल राय ने कहा कि जनता से मिले फीडबैक और परफॉर्मेंस के आधार पर टिकट का बंटवारा किया गया है। उन्होंने बताया कि 2 विधायकों की सीट बदली गई है, जबकि अब तक 18 का टिकट काटा गया है। आने वाले दिनों में और भी विधायकों के टिकट काटे जा सकते हैं।
पार्टी के इस कदम से कई विधायकों में असंतोष बढ़ा है। विधानसभा स्पीकर राम निवास गोयल ने चार विधायकों के इस्तीफे और अयोग्यता की घोषणा की है, जिनमें से तीन आप के हैं। इनमें सीमापुरी से विधायक राजेंद्र पाल गौतम, पटेल नगर से विधायक राज कुमार आनंद, और छतरपुर से विधायक करतार सिंह शामिल हैं। इन विधायकों ने पार्टी छोड़कर अन्य दलों का दामन थामा है, जिसके बाद उन्हें अयोग्य घोषित किया गया है।
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आप के इस निर्णय से पार्टी के भीतर असंतोष की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कई वरिष्ठ नेताओं के टिकट काटे जाने से पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों में भी नाराजगी देखी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव से ठीक पहले इस तरह के आंतरिक विवाद पार्टी की चुनावी संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं।
आम आदमी पार्टी ने 20 विधायकों के टिकट काटे हैं, जिनमें नरेला से शरद कुमार, तिमारपुर से दिलीप पांडेय, आदर्श नगर से पवन शर्मा, मुंडका से धर्मपाल लाकड़ा, चांदनी चौक से प्रह्लाद साहनी, मादीपुर से गिरीश सोनी, जनकपुरी से राजेश ऋषि, बिजवासन से भूपिंदर सिंह जून, पालम से भावना गौड़, जंगपुरा से प्रवीण कुमार, देवली से प्रकाश जारवाल, त्रिलोकपुरी से रोहित कुमार, कृष्णा नगर से एसके बग्गा, शाहदरा से रामनिवास गोयल, मुस्तफाबाद से हाजी यूनुस, बुराड़ी से ऋतुराज झा, सीलमपुर से अब्दुल रहमान, और मटियाला से गुलाब सिंह शामिल हैं।
दिल्ली की राजनीति में विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा उथल-पुथल देखने को मिला है। कई मौजूदा विधायकों का टिकट कटने से असंतोष की स्थिति बन गई, जिसके चलते कई नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इस सूची में पालम से भावना गौड़, महरौली से नरेश यादव, जनकपुरी से राजेश ऋषि, कस्तूरबा नगर से मदन लाल, त्रिलोकपुरी से रोहित महरौलिया, बिजवासन से बीएस जून और आदर्श नगर से पवन शर्मा का नाम शामिल है। इन सभी को इस बार पार्टी ने टिकट नहीं दिया, जिससे वे नाराज थे और उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया।
पार्टी के इस कदम का उद्देश्य 10 साल की एंटी-इंकंबेंसी से निपटना और नए चेहरों को मौका देना है। हालांकि, इस निर्णय से पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ा है, और कई वरिष्ठ नेताओं के टिकट काटे जाने से कार्यकर्ताओं और समर्थकों में नाराजगी देखी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव से ठीक पहले इस तरह के आंतरिक विवाद पार्टी की चुनावी संभावनाओं को प्रभावित कर सकते हैं।
आगामी चुनावों में आप की रणनीति और इन आंतरिक विवादों का पार्टी के प्रदर्शन पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी। पार्टी नेतृत्व को इन चुनौतियों का सामना करते हुए संगठन में एकता बनाए रखने की आवश्यकता होगी, ताकि चुनावी मैदान में सफलता हासिल की जा सके।
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