Delhi Assembly Elections: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजे ने राजनीतिक गलियारों में कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच गठबंधन न होने के कारण भाजपा (BJP) को बड़ी जीत मिली है। इस चुनाव में AAP 22 सीटों पर सिमट गई, जबकि भाजपा ने 48 सीटों पर जीत दर्ज की। कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी और उसका वोट शेयर महज 6.34% रहा। यदि AAP और कांग्रेस के वोट शेयर को जोड़ दिया जाए, तो यह 49.91% हो जाता है, जो भाजपा के 45.56% से साढ़े 4% अधिक है। इससे साफ जाहिर होता है कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन न होने का खामियाजा दोनों को भुगतना पड़ा है।
चुनाव परिणाम का विश्लेषण
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजे ने राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह बदल दिया है। भाजपा ने 27 साल बाद दिल्ली में सत्ता में वापसी की है, जबकि AAP को बड़ा झटका लगा है। AAP के कई वरिष्ठ नेता, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शामिल हैं, अपनी सीटें हार गए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस के उम्मीदवारों ने AAP के वोट काटे, जिससे भाजपा को फायदा हुआ।
वोट शेयर का गणित
- भाजपा: 45.56% वोट शेयर के साथ 48 सीटें
- AAP: 43.57% वोट शेयर के साथ 22 सीटें
- कांग्रेस: 6.34% वोट शेयर के साथ 0 सीटें
यदि AAP और कांग्रेस के वोट शेयर को जोड़ दिया जाए, तो यह 49.91% हो जाता है, जो भाजपा के वोट शेयर से 4.35% अधिक है। इससे साफ पता चलता है कि यदि दोनों पार्टियों ने गठबंधन किया होता, तो परिणाम कुछ और हो सकते थे।
14 सीटों पर गठबंधन का असर
दिल्ली की 14 सीटों पर AAP और कांग्रेस के वोट शेयर को जोड़ दिया जाए, तो यह भाजपा के वोट शेयर से अधिक हो जाता है। इन सीटों पर गठबंधन होने से AAP को फायदा मिल सकता था। उदाहरण के लिए:
- नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल 4089 वोटों से हारे, जबकि कांग्रेस के संदीप दीक्षित को 4568 वोट मिले।
- जंगपुरा: मनीष सिसोदिया 675 वोटों से हारे, जबकि कांग्रेस के फरहद सूरी को 7350 वोट मिले।
इन सीटों पर यदि AAP और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा होता, तो परिणाम कुछ और हो सकते थे।
वोट शेयर में बदलाव
- AAP: 2020 के मुकाबले 2023 में AAP के वोट शेयर में 9.72% की कमी आई है।
- भाजपा: भाजपा के वोट शेयर में 7.92% की वृद्धि हुई है।
- कांग्रेस: कांग्रेस के वोट शेयर में 2.18% की वृद्धि हुई है।
इससे साफ पता चलता है कि AAP के वोटरों का एक हिस्सा भाजपा और कांग्रेस की ओर चला गया।
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राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि AAP को इनकंबेंसी (सत्ता में बने रहने) का खामियाजा भुगतना पड़ा है। साथ ही, कांग्रेस के उम्मीदवारों ने AAP के वोट काटे, जिससे भाजपा को फायदा हुआ। यदि AAP और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा होता, तो परिणाम कुछ और हो सकते थे।
तालिका: 11 सीटों पर AAP और कांग्रेस के वोट शेयर

क्रम संख्या | विधानसभा सीट | AAP उम्मीदवार की हार (वोटों से) | कांग्रेस उम्मीदवार को मिले वोट |
---|---|---|---|
1. | बादली | 15163 | 41071 |
2. | त्रिलोकपुरी | 392 | 6147 |
3. | मालवीय नगर | 2131 | 6770 |
4. | मादिपुर | 10899 | 17958 |
5. | नांगलोई | 26251 | 32028 |
6. | छतरपुर | 6239 | 6601 |
7. | राजिंदर नगर | 1231 | 4015 |
8. | संगम विहार | 344 | 15863 |
9. | ग्रेटर कैलाश | 3188 | 6711 |
10. | जंगपुरा | 675 | 7350 |
11. | नई दिल्ली | 4089 | 4568 |

इस तालिका से साफ पता चलता है कि यदि AAP और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा होता, तो इन सीटों पर परिणाम कुछ और हो सकते थे।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजे ने साफ कर दिया है कि विपक्षी दलों के बीच एकता की कमी का फायदा भाजपा को मिला है। AAP और कांग्रेस के बीच गठबंधन न होने के कारण भाजपा को बड़ी जीत मिली है। यदि दोनों पार्टियों ने मिलकर चुनाव लड़ा होता, तो परिणाम कुछ और हो सकते थे। आने वाले समय में विपक्षी दलों को एकजुट होकर चुनाव लड़ने की जरूरत है, ताकि भाजपा के बढ़ते प्रभाव को रोका जा सके।