Digital Currency Ponzi Scheme
Digital Currency Ponzi Scheme: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने डिजिटल करेंसी पोंजी स्कीम के तहत 350 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी से जुड़े मामले में सात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। शुक्रवार, 24 जनवरी 2025 को सीबीआई ने सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 10 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान एजेंसी ने कई आपत्तिजनक डिजिटल प्रूफ और अन्य साक्ष्य बरामद किए। इस घोटाले में हाई रिटर्न का वादा कर निवेशकों को लुभाया गया और सोशल मीडिया के माध्यम से योजनाओं को बढ़ावा दिया गया।
जांच में पता चला कि यह मामला क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन से जुड़ा हुआ है। आरोपियों ने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश पर भारी मुनाफा देने का झूठा वादा किया। सीबीआई को आरोपियों के क्रिप्टो वॉलेट में 34 लाख रुपये की नकदी और 38,414 अमेरिकी डॉलर (लगभग 31 लाख रुपये) मूल्य की डिजिटल वर्चुअल संपत्ति मिली।
सातों आरोपी दिल्ली, हजारीबाग (झारखंड), बठिंडा (पंजाब), रतलाम (मध्य प्रदेश), वलसाड (गुजरात), पुदुक्कोट्टई (तमिलनाडु) और चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) के निवासी हैं। इनपर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी) और धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत, साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66 डी के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है।
आरोपियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर पोंजी स्कीम का प्रचार-प्रसार किया। उन्होंने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए झूठी और भ्रामक जानकारी साझा की और उच्च रिटर्न का वादा किया।
सीबीआई की जांच में यह भी सामने आया कि आरोपियों ने कई बैंक खातों और क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट का उपयोग किया। ये वॉलेट CoinDCX, WazirX, Zebpay और BitBns जैसे प्लेटफॉर्म्स पर पंजीकृत थे। इन वॉलेट्स में बीते दो वर्षों में 350 करोड़ रुपये से अधिक का लेनदेन हुआ।
सीबीआई ने दिल्ली, झारखंड, पंजाब, मध्य प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु और राजस्थान के विभिन्न स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान 34.2 लाख रुपये की नकदी, 38,414 अमेरिकी डॉलर मूल्य की डिजिटल संपत्ति, सात मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, एक टैबलेट, तीन हार्ड डिस्क, 10 पेन ड्राइव, मेमोरी कार्ड, सिम कार्ड, एटीएम/डेबिट कार्ड, ईमेल खाते और अन्य दस्तावेज जब्त किए गए।
आरोपियों ने निवेशकों को लुभाने के लिए भारी मुनाफा देने की योजनाएं पेश कीं। ये योजनाएं क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के माध्यम से संचालित होती थीं। पोंजी स्कीम में निवेशकों को शुरुआती चरण में कुछ रिटर्न दिए गए, लेकिन बाद में यह योजनाएं बंद कर दी गईं।
जांच में यह भी पता चला कि योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए सोशल मीडिया समूहों का उपयोग किया गया। इन समूहों के जरिए फर्जी जानकारी फैलाकर निवेशकों को धोखा दिया गया।
तलाशी के दौरान सीबीआई ने विभिन्न डिजिटल और भौतिक साक्ष्य जब्त किए। इनमें आपत्तिजनक दस्तावेज, मोबाइल डिवाइस, और डिजिटल वॉलेट्स की जानकारी शामिल है। ये साक्ष्य जांच के लिए डिजिटल रूप से सुरक्षित कर लिए गए हैं।
क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते उपयोग ने जहां एक ओर वित्तीय लेनदेन को आसान बनाया है, वहीं इसके दुरुपयोग के मामले भी तेजी से बढ़े हैं। पोंजी स्कीम में निवेशकों को गुमराह कर उनकी मेहनत की कमाई को हड़पने की घटनाएं आम होती जा रही हैं।
इस मामले में सीबीआई की सक्रियता ने एक बड़े घोटाले को उजागर किया है। एजेंसी ने न केवल आरोपियों को गिरफ्तार किया, बल्कि डिजिटल संपत्तियों को भी जब्त किया, जिससे आगे की जांच में मदद मिलेगी। एजेंसी के अनुसार, यह मामला क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों में जागरूकता और सतर्कता बढ़ाने की जरूरत पर जोर देता है।
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