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बैंकॉक में पीएम मोदी और मुहम्मद यूनुस की बैठक: भारत-बांग्लादेश तनाव के बीच बड़ी कूटनीतिक पहल

पीएम मोदी और मुहम्मद यूनुस की बैठक
पीएम मोदी और मुहम्मद यूनुस की बैठक

परिचय

पीएम मोदी और मुहम्मद यूनुस की बैठक: 2025 में एशियाई क्षेत्रीय स्थिरता और कूटनीति के लिए बैंकॉक में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक ने सुर्खियां बटोरीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख सलाहकार मुहम्मद यूनुस के बीच BIMSTEC शिखर सम्मेलन के मौके पर पहली बार औपचारिक मुलाकात हुई।
यह पीएम मोदी और मुहम्मद यूनुस की बैठक इस समय की गई जब दोनों देशों के रिश्तों में गंभीर तनाव था।

बैठक की पृष्ठभूमि: क्या है विवाद का कारण?

भारत और बांग्लादेश के संबंध ऐतिहासिक रूप से मधुर रहे हैं, लेकिन हाल ही में कुछ घटनाओं ने इन संबंधों में खटास ला दी।

1. शेख हसीना का भारत में शरण लेना

2024 के अगस्त में बांग्लादेश में छात्र आंदोलन और राजनीतिक अस्थिरता के चलते पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ना पड़ा। उन्होंने भारत में शरण ली, जिसे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने “राजनीतिक शरण” करार देते हुए आपत्ति जताई।

2. हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले

भारत ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे कथित हमलों को लेकर गहरी चिंता जताई। भारतीय मीडिया और सामाजिक संगठनों ने इन घटनाओं को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई।

3. मुहम्मद यूनुस के विवादास्पद बयान

चीनी मंच Boao Forum for Asia में दिए गए यूनुस के बयान, जिसमें उन्होंने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के साथ “संवेदनशील” संबंधों पर टिप्पणी की, ने भारतीय विदेश नीति विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया। यह बयान दिल्ली में एक “सीधा हस्तक्षेप” माना गया।

बैठक का महत्व

बैंकॉक में हुई पीएम मोदी और मुहम्मद यूनुस की बैठक का मुख्य उद्देश्य था:

यूनुस ने पीएम मोदी से बातचीत में कहा कि बांग्लादेश भारत के साथ अपने “ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्ते” को बनाए रखना चाहता है। पीएम मोदी ने भी सकारात्मक रुख अपनाते हुए कहा कि भारत हमेशा बांग्लादेश की स्थिरता और विकास में साझेदार रहेगा।

साझा बयान में क्या कहा गया?

बैठक के बाद जारी किए गए एक संयुक्त बयान में यह कहा गया कि:

क्या होगा आगे?

इस बैठक से कुछ सकारात्मक संकेत तो जरूर मिले हैं, लेकिन तनाव की जड़ें गहरी हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार:

निष्कर्ष

पीएम मोदी और मुहम्मद यूनुस की बैठक केवल एक औपचारिक कूटनीतिक संवाद नहीं, बल्कि एक प्रयास है उपमहाद्वीप में शांति बनाए रखने का। यदि दोनों पक्ष वादों को धरातल पर उतारें, तो यह मुलाकात भविष्य में भारत-बांग्लादेश संबंधों के लिए एक नया अध्याय साबित हो सकती है।

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