Prayagraj Mahakumbh: प्रयागराज के संगम तट पर मंगलवार-बुधवार की रात करीब डेढ़ बजे भगदड़ मच गई, जिसमें 14 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा श्रद्धालु घायल हुए। स्वरूपरानी अस्पताल में मौजूद भास्कर रिपोर्टर के मुताबिक, 14 शव पोस्टमॉर्टम के लिए लाए जा चुके हैं। हालांकि, प्रशासन ने मौत या घायलों की संख्या को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है। इस हादसे ने एक बार फिर से बड़े आयोजनों में सुरक्षा और प्रबंधन की कमियों को उजागर कर दिया है।
हादसे के कारण
भगदड़ की दो प्रमुख वजहें सामने आई हैं। पहली वजह यह है कि अमृत स्नान के कारण ज्यादातर पॉन्टून पुल बंद थे। इससे संगम पर पहुंचने वाली करोड़ों की भीड़ इकट्ठा होती चली गई। भीड़ के दबाव में कुछ लोग बैरिकेड्स में फंसकर गिर गए, जिसके बाद भगदड़ की अफवाह फैल गई। दूसरी वजह यह थी कि संगम नोज पर एंट्री और एग्जिट के रास्ते अलग-अलग नहीं थे। लोग जिस रास्ते से आ रहे थे, उसी रास्ते से वापस जा रहे थे। ऐसे में जब भगदड़ मची, तो लोगों को भागने का मौका नहीं मिला और वे एक-दूसरे के ऊपर गिरते चले गए।
प्रशासन और राजनीतिक प्रतिक्रिया
हादसे के बाद 70 से ज्यादा एम्बुलेंस संगम तट पर पहुंचीं और घायलों तथा मृतकों को अस्पताल ले जाया गया। इसके बाद संगम तट पर NSG कमांडो ने मोर्चा संभाल लिया। संगम नोज इलाके में आम लोगों की एंट्री बंद कर दी गई। भीड़ और न बढ़े, इसलिए प्रयागराज से सटे जिलों में श्रद्धालुओं को रोक दिया गया है। वहां प्रशासन को अलर्ट कर दिया गया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोगों से संयम बरतने की अपील की है। उन्होंने कहा कि श्रद्धालु संगम पर ही स्नान करने की न सोचें। गंगा हर जगह पवित्र है, वे जहां हैं उसी तट पर स्नान करें। दूसरी ओर, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि वीआईपी कल्चर और सरकार की बदइंतजामी के कारण यह भगदड़ मची है। उन्होंने प्रशासन की ओर से सुरक्षा और प्रबंधन में कमियों को जिम्मेदार ठहराया है।
महाकुंभ और भीड़ प्रबंधन
महाकुंभ में आज मौनी अमावस्या का स्नान है, जिसके चलते करीब 9 करोड़ श्रद्धालुओं के शहर में मौजूद होने का अनुमान है। प्रशासन के मुताबिक, संगम समेत 44 घाटों पर आज देर रात तक 8 से 10 करोड़ श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने का अनुमान है। इससे एक दिन पहले यानी मंगलवार को साढ़े 5 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। पूरे शहर में सुरक्षा के लिए 60 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं।
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हालांकि, इतनी बड़ी संख्या में लोगों के आने पर भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठना स्वाभाविक है। इस हादसे ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि बड़े आयोजनों में सुरक्षा और प्रबंधन के मामले में अभी भी कई कमियां हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह भीड़ प्रबंधन के लिए बेहतर योजना बनाए और एंट्री-एग्जिट के रास्तों को अलग-अलग करे ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
प्रयागराज के संगम तट पर हुई भगदड़ एक दुखद घटना है, जिसमें कई लोगों की जान चली गई और कई घायल हुए हैं। इस हादसे ने सुरक्षा और प्रबंधन की कमियों को उजागर किया है। प्रशासन को चाहिए कि वह भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए बेहतर योजना बनाए और भीड़ प्रबंधन पर विशेष ध्यान दें। साथ ही, श्रद्धालुओं को भी सुरक्षा के प्रति जागरूक होना चाहिए और प्रशासन के निर्देशों का पालन करना चाहिए।