Ramakrishna Paramhansa Jayanti 2025
Ramakrishna Paramhansa Jayanti 2025: रामकृष्ण परमहंस भारत के महान संत, विचारक और आध्यात्मिक गुरु थे, जिन्होंने पूरे विश्व को अपने धार्मिक एवं दार्शनिक विचारों से प्रभावित किया। उनकी जयंती, जिसे रामकृष्ण जयंती के रूप में मनाया जाता है, न केवल उनके जीवन और शिक्षाओं को याद करने का अवसर है, बल्कि यह आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने का भी एक महत्वपूर्ण पर्व है।
रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 को बंगाल के कामारपुकुर गाँव में हुआ था। उनका मूल नाम गदाधर चट्टोपाध्याय था। वे बचपन से ही अत्यंत धार्मिक प्रवृत्ति के थे और ईश्वर भक्ति में लीन रहते थे। उन्हें बचपन से ही आध्यात्मिक अनुभव होते थे, जो बाद में उनके जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गए।
रामकृष्ण परमहंस की आध्यात्मिक यात्रा का प्रारंभ दक्षिणेश्वर काली मंदिर से हुआ, जहाँ वे माँ काली की उपासना में लीन हो गए। उनकी साधना अत्यंत कठिन थी और उन्होंने विभिन्न धार्मिक मार्गों को अपनाकर स्वयं के भीतर सत्य की खोज की। वे यह मानते थे कि सभी धर्म एक ही सत्य की ओर ले जाते हैं। उन्होंने वेदांत, इस्लाम, ईसाई धर्म सहित अनेक धार्मिक परंपराओं का पालन कर यह अनुभव किया कि ईश्वर की प्राप्ति के विभिन्न मार्ग हो सकते हैं।
रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख शिष्यों में स्वामी विवेकानंद प्रमुख थे। उन्होंने अपने गुरु के संदेशों को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य किया और रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। विवेकानंद ने रामकृष्ण परमहंस के सिद्धांतों को विश्व पटल पर स्थापित किया और उनके विचारों को आगे बढ़ाया।
रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाएँ अत्यंत सरल, व्यावहारिक और सार्वभौमिक थीं। उनके अनुसार:
रामकृष्ण जयंती केवल एक स्मरणोत्सव नहीं, बल्कि उनके विचारों को आत्मसात करने का दिन है। इस दिन देशभर में रामकृष्ण मिशन और अन्य आध्यात्मिक संस्थाओं द्वारा विशेष पूजा, प्रवचन, भजन-कीर्तन और सेवा कार्यों का आयोजन किया जाता है।
रामकृष्ण परमहंस ने भारतीय समाज में धार्मिक सहिष्णुता, आध्यात्मिक जागरूकता और नैतिक मूल्यों को पुनर्स्थापित किया। उन्होंने धर्म को जड़ता से मुक्त कर इसे एक जीवंत अनुभव बनाया। उनके विचार न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में गूंजते रहे और आज भी लाखों लोगों को प्रेरणा देते हैं।
ये भी पढ़े:-World NGO Day 2025 Theme: जानें विश्व एनजीओ दिवस कब और क्यों मनाया जाता है
रामकृष्ण जयंती एक ऐसा अवसर है, जो हमें उनकी शिक्षाओं को आत्मसात करने और जीवन में आध्यात्मिकता को स्थान देने की प्रेरणा देता है। यह पर्व हमें प्रेम, सेवा, सहिष्णुता और भक्ति की राह पर चलने का मार्ग दिखाता है। हमें इस दिन को केवल एक उत्सव के रूप में नहीं, बल्कि अपने जीवन में आध्यात्मिक मूल्यों को स्थापित करने के संकल्प के रूप में मनाना चाहिए।
Auto-generated excerpt
Auto-generated excerpt