Supreme Court
Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली में पीएम आयुष्मान भारत स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (PM-ABHIM) योजना को लागू करने पर रोक लगा दी है। यह निर्णय दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने के संदर्भ में आया, जिसमें केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच इस योजना को लागू करने के लिए समझौता करने का निर्देश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
दिल्ली उच्च न्यायालय में 2017 में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में राजधानी के सरकारी अस्पतालों में आईसीयू बेड और वेंटिलेटर्स की कमी को लेकर चिंता व्यक्त की गई थी। याचिका में यह मांग भी उठाई गई कि पीएम-ABHIM योजना को दिल्ली में लागू किया जाए ताकि स्वास्थ्य सुविधाओं का बुनियादी ढांचा मजबूत हो सके।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस पर निर्देश दिया कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर योजना को लागू करने के लिए एक समझौता करें। हालांकि, दिल्ली सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, यह दलील देते हुए कि उच्च न्यायालय ने स्वास्थ्य क्षेत्र में दिल्ली सरकार की शक्तियों को सीमित कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि संविधान के राज्य सूची में स्वास्थ्य से संबंधित विषयों को स्पष्ट रूप से राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में रखा गया है। उन्होंने तर्क दिया कि केंद्र सरकार को इन शक्तियों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
सिंघवी ने कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश राज्य सरकार को केंद्र के साथ समझौता करने के लिए बाध्य करता है, जो कि राज्य के अधिकारों का अतिक्रमण है। इन तर्कों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी और केंद्र सरकार से जवाब मांगा।
प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (PM-ABHIM) केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य देशभर में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है।
यह योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) से अलग है और इसका फोकस विशेष रूप से स्वास्थ्य सेवा ढांचे के विकास पर है।
दिल्ली में अब तक पीएम-ABHIM योजना लागू नहीं की गई है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच अधिकारों और कर्तव्यों को लेकर विवाद इसकी प्रमुख वजह है। दिल्ली सरकार का तर्क है कि स्वास्थ्य राज्य सूची का विषय है, और केंद्र सरकार का इस क्षेत्र में हस्तक्षेप संविधान के संघीय ढांचे का उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश फिलहाल उच्च न्यायालय के निर्देशों को निलंबित करता है। केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र में अधिकारों और जिम्मेदारियों पर स्पष्टता के अभाव में यह योजना राजधानी में लागू नहीं हो पा रही है।
आगे की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि केंद्र और राज्य के बीच समझौते की आवश्यकता है या नहीं। साथ ही, यह मामला देश में संघीय ढांचे और राज्य सरकारों के अधिकारों के परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है।
यह निर्णय राजधानी में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर चल रही बहस को और तेज कर सकता है, और भविष्य में केंद्र और राज्य के बीच समन्वय की दिशा में नई पहल की संभावना को जन्म दे सकता है।
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