Electoral Bonds

Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट के चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिए जाने के बाद जानें कैसे मिलने लगा है अब सभी पार्टीयों को चंदा

Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित करने के बाद राजनीतिक दलों को चंदा देने की प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव देखा गया है। अब चंदे का एक बड़ा हिस्सा इलेक्टोरल ट्रस्ट के माध्यम से पहुंचाया जा रहा है। इस बदलाव ने राजनीतिक वित्त पोषण की प्रणाली को एक नया रूप दिया है। चुनाव आयोग की हालिया रिपोर्ट इस बात का खुलासा करती है कि कैसे इलेक्टोरल ट्रस्ट के माध्यम से चंदा देने का चलन बढ़ा है।

चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी, 2024 को चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया और बैंकों को बॉन्ड जारी करने पर तुरंत रोक लगाने का आदेश दिया। अदालत का तर्क था कि चुनावी बॉन्ड राजनीतिक दलों को धन जुटाने के एक पारदर्शी माध्यम के रूप में विफल साबित हुआ है। इससे राजनीतिक दलों के चंदे के स्रोत को समझना मुश्किल हो गया था। इस फैसले के बाद, चंदे का प्रवाह इलेक्टोरल ट्रस्ट की ओर शिफ्ट हो गया।

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इलेक्टोरल ट्रस्ट का बढ़ता प्रभाव

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चुनाव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, इलेक्टोरल ट्रस्ट के माध्यम से राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में काफी वृद्धि हुई।

प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट

इस ट्रस्ट को सबसे ज्यादा चंदा मिला है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट को कुल 1,075.7 करोड़ रुपये का चंदा प्राप्त हुआ, जिसमें से 797.1 करोड़ रुपये सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दिए गए। यह पिछले साल की तुलना में लगभग तीन गुना वृद्धि है।

  1. चंदा देने वाले प्रमुख संस्थान: आर्सेलर मित्तल निप्पॉन (100 करोड़ रुपये), डीएलएफ (99.5 करोड़ रुपये), माथा प्रॉजेक्ट्स (75 करोड़ रुपये), मारुति सुजुकी और CESC (60-60 करोड़ रुपये)।
  2. राजनीतिक दलों को वितरित राशि:
    • भारतीय जनता पार्टी (BJP): 723.8 करोड़ रुपये
    • कांग्रेस: 156.35 करोड़ रुपये
    • भारत राष्ट्र समिति (BRS): 85 करोड़ रुपये
    • YSR कांग्रेस: 72.5 करोड़ रुपये

ट्रायम्फ इलेक्टोरल ट्रस्ट

ट्रायम्फ ट्रस्ट के माध्यम से 132.5 करोड़ रुपये का चंदा दिया गया। इसमें से 130 करोड़ रुपये सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्राप्त हुए।

  1. चंदा देने वाले प्रमुख संस्थान: चोलामंडलम इन्वेस्टमेंट (50 करोड़ रुपये), सीजी पावर इंडस्ट्रियल (30 करोड़ रुपये), कोरोमंडल इंटरनैशनल (25.5 करोड़ रुपये)।
  2. राजनीतिक दलों को वितरित राशि:
    • BJP: 127.5 करोड़ रुपये
    • DMK: 5 करोड़ रुपये

जयभारत इलेक्टोरल ट्रस्ट

जयभारत ट्रस्ट ने 9 करोड़ रुपये का चंदा दिया। यह चंदा लक्ष्मी मशीन वर्क्स (8 करोड़ रुपये) और सुपर सेल्स इंडिया (1 करोड़ रुपये) से प्राप्त हुआ।

  1. राजनीतिक दलों को वितरित राशि:
    • BJP: 5 करोड़ रुपये
    • DMK: 3 करोड़ रुपये
    • AIADMK: 1 करोड़ रुपये

राजनीतिक वित्त पोषण में बदलाव

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने राजनीतिक चंदे की दिशा बदल दी है। चुनावी बॉन्ड के माध्यम से जो चंदा दिया जाता था, अब वह इलेक्टोरल ट्रस्ट के जरिए दिया जा रहा है।

  1. पारदर्शिता का मुद्दा: ट्रस्ट के जरिए चंदा देने की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी मानी जा रही है क्योंकि कंपनियों को चंदे का खुलासा करना पड़ता है।
  2. पार्टी आधारित वितरण: अधिकांश चंदा बीजेपी को मिल रहा है, जो दिखाता है कि ट्रस्ट के माध्यम से चंदा देने की प्रक्रिया में भी एकतरफा झुकाव हो सकता है।
  3. चंदे में वृद्धि: पिछले सालों की तुलना में चंदे में काफी वृद्धि हुई है, जो दर्शाता है कि कंपनियां राजनीतिक दलों को वित्तीय सहायता देने के लिए नए रास्ते अपना रही हैं।

सुप्रीम कोर्ट के चुनावी बॉन्ड पर रोक लगाने के बाद इलेक्टोरल ट्रस्ट राजनीतिक चंदे का मुख्य जरिया बन गया है। हालांकि यह प्रक्रिया अधिक पारदर्शी प्रतीत होती है, लेकिन चंदे का बड़ा हिस्सा अभी भी कुछ प्रमुख राजनीतिक दलों को मिल रहा है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या यह प्रणाली राजनीतिक फंडिंग में निष्पक्षता और संतुलन ला पाएगी। चुनावी वित्त पोषण में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए और सुधारों की आवश्यकता है।

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