International Day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation: महिला जननांग विकृति (Female Genital Mutilation – FGM) एक गंभीर मानवाधिकार हनन है जो लाखों महिलाओं और लड़कियों को शारीरिक और मानसिक पीड़ा पहुंचाता है। इसे रोकने और इसके प्रति वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 6 फरवरी को “महिला जननांग विकृति के प्रति शून्य सहनशीलता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस” मनाया जाता है। यह दिन इस प्रथा को समाप्त करने और प्रभावित महिलाओं व लड़कियों को न्याय दिलाने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।
Female Genital Mutilation: A Global Crisis
महिला जननांग विकृति को आमतौर पर चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:
- क्लिटोरिस की पूर्ण या आंशिक कटौती।
- जननांगों के आंशिक या पूर्ण निष्कासन।
- जननांगों का संकुचन या सिलाई।
- अन्य प्रकार के कट या चीर।
FGM का उद्देश्य अक्सर सांस्कृतिक, धार्मिक, या सामाजिक परंपराओं से जुड़ा होता है। इसे महिलाओं की “पवित्रता” बनाए रखने, विवाह योग्यता सुनिश्चित करने, या सामाजिक स्वीकृति प्राप्त करने के लिए आवश्यक समझा जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर लड़कियों के बचपन या किशोरावस्था के दौरान की जाती है।
महिला जननांग विकृति के प्रभाव |International Day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation|



FGM का महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक और गंभीर प्रभाव पड़ता है। इसके कुछ प्रमुख दुष्प्रभाव इस प्रकार हैं:
- शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- अत्यधिक रक्तस्राव और संक्रमण
- मूत्र मार्ग में रुकावट
- प्रसव के दौरान जटिलताएँ
- बांझपन और सेक्स के दौरान दर्द
- मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD)
- डिप्रेशन और एंग्जायटी
- आत्म-सम्मान में कमी
- सामाजिक प्रभाव:
- लड़कियों की शिक्षा में बाधा
- सामाजिक बहिष्कार
- कम उम्र में विवाह का दबाव
वैश्विक आंकड़े
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 200 मिलियन से अधिक महिलाएं और लड़कियां FGM की शिकार हुई हैं। यह प्रथा मुख्य रूप से अफ्रीकी देशों, मध्य पूर्व, और कुछ एशियाई समुदायों में प्रचलित है। हालाँकि, प्रवासन के कारण यह समस्या अब यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी देखी जा रही है।
महिला जननांग विकृति के खिलाफ वैश्विक प्रयास |International Day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation|
FGM को समाप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र, विश्व स्वास्थ्य संगठन, और कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने अनेक पहल शुरू की हैं। इनमें से कुछ प्रमुख प्रयास हैं:
- संविधान और कानून:
- कई देशों ने FGM को अवैध घोषित कर दिया है और इसके खिलाफ कठोर दंड लागू किए हैं।
- जागरूकता अभियान:
- जागरूकता बढ़ाने के लिए समुदाय-आधारित कार्यक्रम और जनसंचार माध्यमों का उपयोग किया जा रहा है।
- शिक्षा और सशक्तिकरण:
- महिलाओं और लड़कियों को शिक्षित करना और उनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना।
- वैश्विक लक्ष्य:
- संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के तहत 2030 तक FGM को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
भारत में स्थिति |International Day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation|

भारत में FGM की प्रथा मुख्य रूप से दाऊदी बोहरा समुदाय में पाई जाती है। इसे स्थानीय रूप से “ख़तना” या “ख़फ़्ज़” के नाम से जाना जाता है। हालाँकि यह प्रथा भारत में व्यापक रूप से प्रचलित नहीं है, लेकिन यह चिंता का विषय बना हुआ है। 2017 में, भारत में महिला जननांग विकृति के खिलाफ कई याचिकाएँ दायर की गईं, जिससे इस मुद्दे पर राष्ट्रीय बहस छिड़ी।
भारत सरकार ने FGM को रोकने के लिए कानून बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं, लेकिन अभी तक कोई सख्त कानूनी प्रावधान नहीं है।
महिला जननांग विकृति के प्रति शून्य सहनशीलता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस का महत्व
इस दिन का उद्देश्य महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों की रक्षा के लिए वैश्विक प्रतिबद्धता को मजबूत करना है। यह दिवस निम्नलिखित उद्देश्यों को पूरा करता है:
- जागरूकता बढ़ाना:
- FGM के भयानक परिणामों के बारे में लोगों को शिक्षित करना।
- नीतियों का निर्माण:
- सरकारों को ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित करना।
- समुदाय-आधारित पहल:
- समुदायों को इस प्रथा को समाप्त करने के लिए प्रेरित करना।
- महिलाओं का सशक्तिकरण:
- महिलाओं को अपने शरीर और जीवन पर नियंत्रण का अधिकार देना।
FGM को समाप्त करने के लिए आवश्यक कदम |International Day of Zero Tolerance for Female Genital Mutilation|
FGM को समाप्त करने के लिए सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों को मिलकर कार्य करना होगा। इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
- सख्त कानून और उसका कार्यान्वयन:
- FGM के खिलाफ कठोर कानून बनाना और उन्हें प्रभावी ढंग से लागू करना।
- शिक्षा और जागरूकता:
- लड़कियों और महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना।
- समुदायों को FGM के खतरों के बारे में शिक्षित करना।
- स्वास्थ्य सेवाएँ:
- पीड़ित महिलाओं के लिए विशेष स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराना।
- सामाजिक और धार्मिक नेताओं का समर्थन:
- धार्मिक और सामाजिक नेताओं को इस प्रथा के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित करना।
महिला जननांग विकृति एक क्रूर और अमानवीय प्रथा है जो न केवल महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों का उल्लंघन करती है, बल्कि उनके स्वास्थ्य और विकास को भी बाधित करती है। “महिला जननांग विकृति के प्रति शून्य सहनशीलता का अंतर्राष्ट्रीय दिवस” हमें यह याद दिलाता है कि इस प्रथा को समाप्त करने के लिए तत्काल और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
यह हमारा नैतिक और सामाजिक कर्तव्य है कि हम FGM के खिलाफ आवाज उठाएँ और उन लड़कियों और महिलाओं को सशक्त करें जो इस अन्याय का शिकार हुई हैं। एक संयुक्त प्रयास से, हम इस प्रथा को समाप्त कर सकते हैं और एक ऐसा समाज बना सकते हैं जहाँ हर महिला और लड़की अपने जीवन को सम्मान, स्वतंत्रता और सुरक्षा के साथ जी सके।