Increasing threat of cyber fraud: भारत में साइबर अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ठग भोले-भाले लोगों को निशाना बनाकर उन्हें अलग-अलग तरीकों से ठगने में लगे हैं। कभी वे बैंक मैनेजर बनते हैं तो कभी पुलिस अधिकारी। हाल ही में हैदराबाद से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक 63 वर्षीय रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी को 8 लाख रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया।
ठगी का तरीका
ठगों ने एक सुनियोजित तरीके से घटना को अंजाम दिया। पांच दिन पहले पीड़ित को एक कॉल आया, जिसमें कॉलर ने खुद को एक टेलीकम्युनिकेशन अधिकारी बताया। उसने दावा किया कि पीड़ित के खिलाफ अंधेरी पुलिस स्टेशन में मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित मामला दर्ज है। ठगों ने पीड़ित को इस बात से डराया कि उनका नाम 66,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के एक बड़े मामले में सामने आया है।
फर्जी अधिकारी और धमकी
इसके बाद ठग ने पीड़ित को एक कथित सीबीआई स्पेशल ऑफिसर से कनेक्ट किया। इस फर्जी अधिकारी ने पीड़ित से बात करते हुए गंभीर आरोप लगाए कि उनके नाम पर एक फर्जी बैंक खाता खोला गया है। इसे मनी लॉन्ड्रिंग का सबूत बताते हुए उन्होंने गिरफ्तारी की धमकी दी। ठगों ने पीड़ित और उनकी पत्नी को सहयोग न करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी।
डिजिटल अरेस्ट और ठगी
ठगों ने पीड़ित और उनकी पत्नी को “डिजिटल अरेस्ट” कर लिया। उन्होंने दावा किया कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, उन्हें घर में ही कैद रहना होगा। पांच घंटे तक कमरे में बंद रहने के दौरान ठगों ने डर और दबाव डालकर उनसे अलग-अलग बैंक खातों में 8 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए।
ठगी का पता चलना
जब ठगों ने 8 लाख रुपये लेने के बाद और पैसों की मांग की, तब पीड़ित को संदेह हुआ। उन्होंने पैसे ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया और तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस की जांच
शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि ठगों ने बहुत ही पेशेवर तरीके से रिटायर्ड कर्मचारी को निशाना बनाया। पुलिस अब ठगों का पता लगाने और उन्हें पकड़ने के लिए साइबर क्राइम ट्रेसिंग तकनीकों का इस्तेमाल कर रही है।
साइबर ठगी से बचने के उपाय
इस घटना ने एक बार फिर से साइबर अपराध के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता को उजागर किया है। लोगों को सलाह दी जाती है कि वे अनजान कॉल्स और ईमेल्स से सतर्क रहें। किसी भी अनजान व्यक्ति को बैंक डिटेल्स, ओटीपी, या व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।
सरकार और पुलिस प्रशासन को चाहिए कि वे साइबर अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई करें और आम जनता को इस तरह के खतरों के प्रति जागरूक करें। ऐसी घटनाओं से बचने के लिए सतर्कता और जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है।