Delhi Assembly Elections 2025 की मतगणना सुबह 8 बजे से शुरू हो गई है। राजधानी के 11 जिलों में कुल 19 केंद्रों पर मतगणना की प्रक्रिया जारी है। शुरुआती रुझानों के अनुसार, आम आदमी पार्टी (आप) पिछड़ती हुई नजर आ रही है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आगे चल रही है। अभी तक के रुझानों में भाजपा 42 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है और बहुमत के आंकड़े को पार कर चुकी है। वहीं, आम आदमी पार्टी 22 सीटों पर और कांग्रेस 2 सीटों पर आगे चल रही है। हालांकि, यह केवल शुरुआती रुझान हैं और अभी पोस्टल बैलेट की गिनती चल रही है।
मतगणना केंद्रों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम
मतगणना प्रक्रिया को सुरक्षित और निष्पक्ष रूप से संपन्न करने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। दिल्ली पुलिस के अनुसार, प्रत्येक मतगणना केंद्र का प्रभार एडीसीपी (अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त) को सौंपा गया है। कुल 19 केंद्रों पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों (सीएपीएफ) की 38 कंपनियां तैनात हैं, जबकि स्थानीय पुलिस जिला निर्वाचन अधिकारियों और प्रत्याशियों के साथ समन्वय स्थापित कर रही है।



दिल्ली में मतदान प्रतिशत
इस बार दिल्ली में कुल 60.42 प्रतिशत मतदान हुआ, जो कि 2020 के विधानसभा चुनाव की तुलना में कम है। दिल्ली में कुल मतदाताओं की संख्या 1.56 करोड़ है, जिनके लिए 13,766 मतदान केंद्र स्थापित किए गए थे। चुनाव के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहा, लेकिन 5 फरवरी को मतदान प्रक्रिया शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई।
प्रमुख हॉट सीटों पर मतदान का प्रतिशत
दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 10 सीटें ऐसी हैं, जिन्हें हॉट सीट माना जा रहा है। इन सीटों पर मतदाताओं में अपेक्षित जोश नजर नहीं आया।
- मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की नई दिल्ली सीट पर 56.41 प्रतिशत मतदान हुआ।
- मुख्यमंत्री पद की दावेदार आतिशी की कालकाजी सीट पर 54.59 प्रतिशत मतदान हुआ।
- पटपड़गंज सीट, जहां से आप के नेता मनीष सिसोदिया चुनाव लड़ते थे, वहां 60.70 प्रतिशत मतदान हुआ।
- जंगपुरा सीट पर 57.42 प्रतिशत और ग्रेटर कैलाश सीट पर 54.50 प्रतिशत मतदान हुआ।
इन सीटों पर मतदान प्रतिशत अपेक्षाकृत कम रहा, जिससे उम्मीदवारों की चिंता बढ़ गई है।
आप के लिए महत्वपूर्ण सीटें
आम आदमी पार्टी के लिए कुछ सीटों पर जीत दर्ज करना न केवल राजनीतिक बल्कि प्रतिष्ठा का विषय भी बन चुका है। इन सीटों में शामिल हैं:
- करावल नगर: इस सीट पर भाजपा नेता कपिल मिश्रा चुनाव लड़ रहे हैं और यहां 64.44 प्रतिशत मतदान हुआ।
- मुस्तफाबाद: भाजपा के मोहन सिंह बिष्ट की सीट पर 69 प्रतिशत मतदान हुआ।
- ओखला: यहां से आप के अमानतुल्लाह खान चुनाव लड़ रहे हैं और 54.90 प्रतिशत मतदान हुआ।
- शकूर बस्ती: इस सीट पर आप के सत्येंद्र जैन की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है और 63.56 प्रतिशत मतदान हुआ।
- नजफगढ़: यहां 64.14 प्रतिशत मतदान हुआ।
इन सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की जीतना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पार्टी के बड़े नेताओं की सीटें हैं। अगर इन सीटों पर हार होती है, तो यह पार्टी के लिए बड़ा झटका हो सकता है।
भाजपा की बढ़त से राजनीतिक समीकरण बदलने के संकेत
शुरुआती रुझानों में भाजपा की मजबूत बढ़त से दिल्ली के राजनीतिक समीकरण बदलने के संकेत मिल रहे हैं। भाजपा अगर बहुमत से सरकार बनाने में सफल होती है, तो यह दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव होगा।
आप सरकार को सत्ता में आए एक दशक से अधिक हो गया है और इस दौरान पार्टी ने शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली-पानी के क्षेत्र में कई योजनाएं लागू कीं। हालांकि, हाल ही में हुए भ्रष्टाचार के आरोपों और अन्य विवादों के कारण आप की स्थिति कमजोर हुई है।
वहीं, भाजपा इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंक चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह सहित कई बड़े नेताओं ने दिल्ली में प्रचार किया। भाजपा का मुख्य फोकस कानून-व्यवस्था, भ्रष्टाचार और विकास के मुद्दों पर रहा।
कांग्रेस की स्थिति
कांग्रेस इस चुनाव में ज्यादा प्रभावशाली नहीं दिख रही है। शुरुआती रुझानों के अनुसार, कांग्रेस केवल 2 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। हालांकि, कांग्रेस की नजर मतगणना के अगले चरण पर होगी, जब ईवीएम के वोटों की गिनती शुरू होगी।
आगे की राह
अभी मतगणना जारी है और तस्वीर पूरी तरह साफ होने में कुछ और घंटे लग सकते हैं। शुरुआती रुझान बाद में बदल भी सकते हैं, क्योंकि अभी मुख्य रूप से पोस्टल बैलेट की गिनती हुई है। अगले कुछ घंटों में जब ईवीएम के वोट गिने जाएंगे, तब स्पष्ट हो जाएगा कि दिल्ली की सत्ता किसके हाथों में जाएगी।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, अगर भाजपा इसी बढ़त को बरकरार रखती है, तो दिल्ली में सत्ता परिवर्तन तय है। वहीं, आम आदमी पार्टी को सत्ता में बने रहने के लिए बड़े उलटफेर की जरूरत होगी। कांग्रेस की स्थिति फिलहाल कमजोर है, लेकिन अंतिम नतीजों में कुछ अप्रत्याशित परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
दिल्ली की जनता के फैसले का असर पूरे देश की राजनीति पर पड़ सकता है, क्योंकि यह चुनाव 2024 के आम चुनाव से पहले का महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत भी माना जा रहा है। अब देखना यह होगा कि मतगणना पूरी होने के बाद किस पार्टी की सरकार बनेगी और दिल्ली की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ेगी।