Delhi CAG Report: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आगामी विधानसभा चुनावों से पहले नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट पर चर्चा के लिए दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने के निर्देश देने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने यह फैसला विपक्षी विधायकों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याचिका में विधानसभा अध्यक्ष को कैग रिपोर्ट पेश करने के उद्देश्य से सदन की विशेष बैठक बुलाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
याचिका विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता और भाजपा विधायकों – मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय कुमार महावर, अभय वर्मा, अनिल कुमार बाजपेयी, और जीतेंद्र महाजन द्वारा दायर की गई थी। विधायकों ने वकील नीरज और सत्य रंजन स्वैन के माध्यम से तर्क दिया कि रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करना आवश्यक है ताकि जनहित में पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
हालांकि, दिल्ली सरकार और विधानसभा अध्यक्ष के वरिष्ठ वकीलों ने इस याचिका का विरोध करते हुए दलील दी कि विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और इस स्तर पर रिपोर्ट पेश करने की कोई अनिवार्यता नहीं है। उन्होंने कहा कि अदालत को विधायी मामलों में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए।
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न्यायमूर्ति दत्ता की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि अदालत याचिकाकर्ताओं की इस प्रार्थना को स्वीकार करने के लिए इच्छुक नहीं है। अदालत ने हालांकि यह भी कहा कि कैग रिपोर्ट पेश करने में सरकार की ओर से अत्यधिक देरी हुई है।
कैग रिपोर्ट जनहित से जुड़े मुद्दों पर सरकार के वित्तीय और प्रशासनिक कार्यों की समीक्षा प्रस्तुत करती है। विपक्षी विधायकों ने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर रिपोर्ट पेश करने में देरी कर रही है ताकि इसमें उठाए गए मुद्दों से जनता का ध्यान हटाया जा सके।
यह मामला राजनीतिक महत्व का है क्योंकि कैग रिपोर्ट प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। अदालत के इस फैसले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विधायी प्रक्रिया में हस्तक्षेप के लिए सीमित परिस्थितियां होती हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनावों के निकट होने के कारण यह मुद्दा और भी संवेदनशील हो गया है। जबकि अदालत ने विशेष सत्र बुलाने का निर्देश देने से इनकार कर दिया, यह देखना बाकी है कि सरकार रिपोर्ट पेश करने के लिए कब पहल करती है।