Primary teacher recruitment scam

Primary teacher recruitment scam: विपक्ष के नेताओं की सिफारिशों का खुलासा, सीबीआई को एक अहम सूची हाथ लगी

Primary teacher recruitment scam: पश्चिम बंगाल में प्राथमिक शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच कर रही सीबीआई को एक अहम सूची हाथ लगी है, जिसमें नौकरी चाहने वालों के नामों की सिफारिश विभिन्न राजनीतिक नेताओं द्वारा की गई थी। सूत्रों के अनुसार, यह सूची राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को भेजी गई थी, जो वर्तमान में इस घोटाले में जेल में हैं। इस सूची में 324 उम्मीदवारों के नाम शामिल थे, जिनमें से 134 को प्राथमिक शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था।

सिफारिश करने वालों के नाम सूत्रों के मुताबिक, इस सूची में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के भाई और पूर्व सांसद दिव्येंदु अधिकारी, भाजपा नेता और पूर्व पुलिस अधिकारी भारती घोष, तृणमूल कांग्रेस के विधायक शौकत मोल्ला और पूर्व सांसद ममताबाला ठाकुर के नाम शामिल हैं। सीबीआई का मानना है कि इन नेताओं ने विभिन्न उम्मीदवारों की सिफारिश की थी, लेकिन अभी तक इनमें से किसी से भी पूछताछ नहीं की गई है।

भ्रष्टाचार की जड़ें सीबीआई 2014 की प्राथमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही है। जांच 2022 में शुरू हुई थी, जब यह आरोप सामने आए कि कई उम्मीदवारों को अनुचित तरीके से नौकरी दी गई थी। जिस समय यह भर्ती प्रक्रिया चल रही थी, उस समय दिव्येंदु अधिकारी और भारती घोष भाजपा में नहीं थे, बल्कि वे सत्तारूढ़ दल से जुड़े हुए थे। बाद में वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।

सीबीआई की कार्रवाई पिछले वर्ष जून में सीबीआई ने विकास भवन (स्कूल शिक्षा विभाग के कार्यालयों में से एक) के गोदाम पर छापा मारा था। वहां से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए, जिनमें उन उम्मीदवारों की सूची शामिल थी, जिनके नाम की सिफारिश विभिन्न नेताओं द्वारा की गई थी।

भारती घोष की भूमिका भारती घोष, जो पहले पुलिस अधिकारी थीं, बाद में भाजपा में शामिल हो गईं और लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव भी लड़ा। सीबीआई के दस्तावेजों के अनुसार, उनके द्वारा अनुशंसित कई उम्मीदवारों को नौकरी मिली थी।

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शुभेंदु अधिकारी की प्रतिक्रिया जब शुभेंदु अधिकारी से उनके भाई दिव्येंदु अधिकारी के नाम पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि भाजपा का इस घोटाले से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा, “जिन लोगों की सिफारिश पर अवैध नियुक्तियां की गईं, वे उस समय सत्ताधारी दल से जुड़े हुए थे। यदि कोई अवैध नियुक्ति हुई थी, तो उन सभी से पूछताछ होनी चाहिए।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस मामले की जांच में राजनीतिक भेदभाव हो रहा है।

राजनीतिक विवाद और निष्कर्ष यह मामला पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। तृणमूल कांग्रेस और भाजपा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं। सीबीआई की जांच जारी है और यह देखना बाकी है कि आगे किस पर क्या कार्रवाई होती है।

यह घोटाला न केवल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि राजनीतिक दबाव के कारण किस प्रकार योग्यता के बजाय सिफारिशों के आधार पर सरकारी नौकरियां दी जाती हैं। यदि इस मामले में निष्पक्ष जांच होती है, तो यह भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अहम कदम साबित हो सकता है।

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