Shaheed Diwas 2025: शहीद दिवस, भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन है, जो उन वीर सपूतों की याद में मनाया जाता है जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। यह दिन हमें उनके बलिदानों की याद दिलाता है और हमें देश के प्रति अपने कर्तव्यों का बोध कराता है। भारत में शहीद दिवस विभिन्न अवसरों पर मनाया जाता है, लेकिन मुख्य रूप से 23 मार्च और 30 जनवरी को इसे विशेष रूप से मनाया जाता है। 23 मार्च को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान को याद किया जाता है, वहीं 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
23 मार्च: क्रांति की ज्वाला |Shaheed Diwas 2025 IN HINDI|
23 मार्च 1931 को, भारत के तीन महान क्रांतिकारियों – भगत सिंह, सुखदेव थापर और शिवराम राजगुरु को ब्रिटिश सरकार ने फांसी दे दी थी। ये तीनों युवा भारत को पूर्ण स्वतंत्रता दिलाने के लिए दृढ़ संकल्पित थे। उन्होंने लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए जॉन सॉन्डर्स नामक एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या कर दी थी। इन तीनों क्रांतिकारियों ने देश के युवाओं में स्वतंत्रता की अलख जगाई और अपने बलिदान से क्रांति की ज्वाला को और तेज कर दिया।
भगत सिंह, सुखदेव थापर और शिवराम राजगुरु को ब्रिटिश सरकार ने 23 मार्च 1931 को फांसी दी थी। उन्हें फांसी देने के मुख्य कारण इस प्रकार थे:
- लाहौर षड्यंत्र केस (Lahore Conspiracy Case): यह मामला 1928 में ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या से जुड़ा हुआ है। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए सॉन्डर्स को गोली मार दी थी। लाला लाजपत राय की मौत साइमन कमीशन के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुए लाठीचार्ज में लगी चोटों के कारण हुई थी। इन तीनों क्रांतिकारियों का मानना था कि सॉन्डर्स की हत्या करके वे लाला लाजपत राय की मौत का बदला ले रहे हैं।
- सेंट्रल असेंबली में बम फेंकना (Bombing in the Central Assembly): 8 अप्रैल 1929 को, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली स्थित सेंट्रल असेंबली में बम फेंके थे। उनका मकसद किसी को मारना नहीं, बल्कि सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध जताना था। वे “इंकलाब जिंदाबाद” के नारे लगाते हुए पर्चे भी फेंके थे, जिनमें उनके विचारों का उल्लेख था। इस घटना के बाद दोनों ने खुद को गिरफ्तार करवा दिया था।
इन दोनों घटनाओं में शामिल होने के कारण भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु पर मुकदमा चलाया गया। उन्हें सॉन्डर्स की हत्या के मामले में दोषी पाया गया और फांसी की सजा सुनाई गई।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन क्रांतिकारियों का उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराना था। उन्होंने अपने कार्यों से देश के युवाओं में स्वतंत्रता की भावना को जगाया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
शहीद दिवस का महत्व
शहीद दिवस ( Shaheed Diwas 2025 Hindi ) हमें उन बलिदानों की याद दिलाता है जो हमारे पूर्वजों ने देश की स्वतंत्रता के लिए दिए थे। यह दिन हमें देश के प्रति अपने कर्तव्यों का बोध कराता है और हमें देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा देता है। शहीद दिवस हमें यह भी याद दिलाता है कि स्वतंत्रता कितनी मूल्यवान है और हमें इसे बनाए रखने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए।
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2025 में शहीद दिवस
2025 में भी, हम शहीद दिवस (Shaheed Diwas 2025) को पूरे सम्मान और श्रद्धा के साथ मनाएंगे। इस दिन, हम उन सभी शहीदों को याद करेंगे जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। हम उनके बलिदानों को कभी नहीं भूलेंगे और हमेशा उनके आदर्शों पर चलने का प्रयास करेंगे।
शहीद दिवस का संदेश |Shaheed Diwas 2025|
शहीद दिवस हमें एकता, अखंडता और देशभक्ति का संदेश देता है। यह दिन हमें यह सिखाता है कि हमें हमेशा देश के लिए समर्पित रहना चाहिए और देश की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए। शहीदों के बलिदानों को याद करके, हम एक बेहतर भारत का निर्माण कर सकते हैं।
शहीद दिवस पर कार्यक्रम
शहीद दिवस पर पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। सरकारी भवनों और स्कूलों में शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है। प्रभात फेरियां निकाली जाती हैं और शहीदों के जीवन पर आधारित नाटकों का मंचन किया जाता है। इस दिन, लोग शहीदों के बलिदानों को याद करते हैं और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेते हैं।
शहीदों को नमन |Shaheed Diwas 2025 Hindi|
शहीद दिवस पर, हम उन सभी शहीदों को नमन करते हैं जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनके बलिदानों को हम कभी नहीं भूलेंगे और हमेशा उनके ऋणी रहेंगे।
शहीद दिवस (Shaheed Diwas 2025) एक ऐसा दिन है जो हमें हमारे इतिहास और हमारे पूर्वजों के बलिदानों की याद दिलाता है। यह दिन हमें देश के प्रति अपने कर्तव्यों का बोध कराता है और हमें एक बेहतर भविष्य के लिए प्रेरित करता है। हमें शहीदों के बलिदानों को कभी नहीं भूलना चाहिए और हमेशा उनके आदर्शों पर चलने का प्रयास करना चाहिए।
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