Karnataka jail officials help prisoner

Karnataka jail officials help prisoner: जुर्माना ना भरने के कारण जेल में सजा काट रहे दुर्गाप्पा को उसी जेल के अधिकारियों की मदद से मिला नया जीवन

Karnataka jail officials help prisoner: कर्नाटक के कलबुर्गी जिले की सेंट्रल जेल में एक ऐसी घटना ने सभी का ध्यान खींचा है, जो मानवीय संवेदनशीलता और सामाजिक जिम्मेदारी का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह कहानी है एक कैदी की, जो अपनी सजा पूरी कर चुका था, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण जेल से रिहा नहीं हो पा रहा था। जेल अधिकारियों ने उसकी मदद करके न केवल उसे नई जिंदगी दी, बल्कि यह भी साबित किया कि जेल जैसी जगह भी मानवीय मूल्यों से परिपूर्ण हो सकती है।

कौन है दुर्गाप्पा?

दुर्गाप्पा रायचूर जिले के लिंगासुरू तालुक के रहने वाले हैं। 2013 में हत्या के एक मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दुर्गाप्पा ने अपनी सजा काटी और नवंबर 2023 में उन्हें पैरोल पर रिहा कर दिया गया। हालांकि, कोर्ट ने उन पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया था, जिसे भरने में दुर्गाप्पा असमर्थ थे। इस वजह से वह जेल से रिहा नहीं हो पा रहे थे।

जुर्माने की समस्या

दुर्गाप्पा एक गरीब और बुजुर्ग व्यक्ति हैं। उनके पास न तो कोई संपत्ति है और न ही कोई घर। उनका परिवार भी उन्हें अकेला छोड़ चुका था। ऐसे में, एक लाख रुपए का जुर्माना भरना उनके लिए असंभव था। यही वजह थी कि वह जेल में ही फंसे रहे, भले ही उनकी सजा पूरी हो चुकी थी।

जेल अधिकारियों की पहल

कलबुर्गी सेंट्रल जेल की मुख्य अधीक्षक डॉ. आर. अनीता ने दुर्गाप्पा की स्थिति को देखते हुए उनकी मदद करने का निर्णय लिया। उन्होंने दुर्गाप्पा के रिश्तेदारों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने भी मदद करने से इनकार कर दिया। इसके बाद, जेल अधिकारियों ने कुछ गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) से भी संपर्क किया, लेकिन वहां से भी कोई सहायता नहीं मिली।

हालांकि, डॉ. अनीता ने हार नहीं मानी। उन्हें पता चला कि दुर्गाप्पा ने जेल में काम करके कुछ पैसे कमाए थे और वह राशि उनके बैंक खाते में जमा थी। जेल अधिकारियों ने दुर्गाप्पा के साथ मिलकर बैंक से पैसे निकालने की व्यवस्था की और एक लाख रुपए का जुर्माना भर दिया। इस तरह, दुर्गाप्पा को लंबे समय तक जेल में रहने के बाद आखिरकार रिहा कर दिया गया।

मानवीय संवेदनशीलता का उदाहरण

यह घटना न केवल दुर्गाप्पा के लिए एक नई शुरुआत थी, बल्कि यह समाज के लिए भी एक बड़ा संदेश था। जेल अधिकारियों ने यह साबित कर दिया कि वे केवल कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए ही जिम्मेदार नहीं हैं, बल्कि वे कैदियों के प्रति संवेदनशील भी हैं। उन्होंने दुर्गाप्पा की मदद करके यह दिखाया कि जेल भी मानवीय मूल्यों को बनाए रख सकती है।

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समाज की प्रतिक्रिया

इस घटना की चर्चा पूरे इलाके में फैल गई और लोगों ने जेल अधिकारियों की सराहना की। कई लोगों ने इसे मानवता की जीत बताया। सोशल मीडिया पर भी इसकी काफी चर्चा हुई और लोगों ने डॉ. आर. अनीता और उनकी टीम की प्रशंसा की। यह घटना यह भी याद दिलाती है कि समाज में ऐसे लोगों की जरूरत है जो दूसरों की मदद के लिए आगे आएं।

जेल सुधार की दिशा में एक कदम

यह घटना जेल सुधार की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। अक्सर जेलों को क्रूरता और अमानवीयता का प्रतीक माना जाता है, लेकिन कलबुर्गी जेल के अधिकारियों ने यह साबित किया कि जेल भी सुधार और मानवीय मूल्यों का केंद्र हो सकती है। यह कदम अन्य जेलों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है।

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