World Wetlands Day 2025: प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण में आर्द्रभूमियों की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। हर साल 2 फरवरी को “विश्व आर्द्रभूमि दिवस” मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य इन अद्वितीय और संवेदनशील (World Wetlands Day 2025) पारिस्थितिक तंत्रों के महत्व को रेखांकित करना है। वर्ष 2025 का यह दिन हमें फिर से याद दिलाता है कि आर्द्रभूमियों का संरक्षण न केवल पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में सहायक है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने, जैव विविधता को संरक्षित करने और स्थानीय समुदायों को जीवन यापन के साधन प्रदान करने में भी अत्यंत आवश्यक है।
आर्द्रभूमि: एक परिचय
आर्द्रभूमियां वे स्थान हैं जहां जल स्थायी या मौसमी रूप से मौजूद रहता है। इनमें झीलें, नदी के किनारे, दलदल, मैंग्रोव वन, चावल के खेत और कृत्रिम जलाशय शामिल हैं। रामसर कन्वेंशन (1971) के अनुसार, आर्द्रभूमियों को संरक्षित करने का उद्देश्य इनकी पारिस्थितिकीय, आर्थिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्व को बनाए रखना है।
2025 की थीम: “आर्द्रभूमि संरक्षण: सतत भविष्य की कुंजी”
इस वर्ष की थीम “आर्द्रभूमि संरक्षण: सतत भविष्य की कुंजी” (Wetland Conservation: The Key to a Sustainable Future) हमें यह समझाने का प्रयास करती है कि आर्द्रभूमियों का संरक्षण कैसे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम कर सकता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी पर्यावरण सुनिश्चित कर सकता है।
आर्द्रभूमियों का महत्व
- जलवायु परिवर्तन का मुकाबला: आर्द्रभूमियां कार्बन के प्रमुख भंडार के रूप में कार्य करती हैं। पीटलैंड्स जैसे आर्द्रभूमियां वायुमंडलीय कार्बन को अवशोषित करके जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करती हैं।
- जैव विविधता का संरक्षण: आर्द्रभूमियां पक्षियों, मछलियों, पौधों और अन्य जीव-जंतुओं के लिए महत्वपूर्ण आवास प्रदान करती हैं।
- जल संसाधन प्रबंधन: ये जल चक्र को संतुलित करती हैं और भूजल को रिचार्ज करती हैं।
- आजीविका का साधन: मछली पालन, पर्यटन, और कृषि जैसे क्षेत्रों में आर्द्रभूमियां स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न करती हैं।
- प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा: आर्द्रभूमियां बाढ़ और तटीय कटाव से सुरक्षा प्रदान करती हैं।
चुनौतियां और खतरे|World Wetlands Day 2025|



आर्द्रभूमियों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमें से प्रमुख हैं:
- शहरीकरण और औद्योगिकीकरण: आर्द्रभूमियों को कृषि, रियल एस्टेट और औद्योगिक परियोजनाओं के लिए नष्ट किया जा रहा है।
- प्रदूषण: रसायनों, कचरे और प्रदूषकों के कारण आर्द्रभूमियों की गुणवत्ता घट रही है।
- जलवायु परिवर्तन: बढ़ता तापमान और अनियमित वर्षा आर्द्रभूमियों की संरचना और कार्यक्षमता को प्रभावित कर रही है।
- अज्ञानता और उपेक्षा: कई लोग आर्द्रभूमियों के महत्व से अनजान हैं, जिससे इनके संरक्षण में उदासीनता बनी रहती है।
भारत और आर्द्रभूमि संरक्षण|World Wetlands Day 2025|
भारत में आर्द्रभूमियां जैव विविधता और जलवायु स्थिरता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। भारत में कुल क्षेत्रफल का लगभग 4.7% भाग आर्द्रभूमियों से आच्छादित है। प्रमुख आर्द्रभूमियों में सुंदरबन, चिल्का झील, वुलर झील, लोकटक झील और असम के माजुली द्वीप शामिल हैं। भारत ने रामसर कन्वेंशन के तहत अब तक 75 आर्द्रभूमियों को रामसर स्थलों के रूप में घोषित किया है।
आर्द्रभूमियों के संरक्षण के प्रयास
- नीतियां और कार्यक्रम: भारत में राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम (NWCP) और मैनग्रोव और कोरल रीफ संरक्षण कार्यक्रम जैसे उपाय किए गए हैं।
- जनभागीदारी: स्थानीय समुदायों को जागरूक करने और उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कई जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।
- तकनीकी उपाय: सैटेलाइट तकनीक और GIS का उपयोग करके आर्द्रभूमियों की निगरानी और संरक्षण किया जा रहा है।
- साझेदारी और वित्तपोषण: सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से संरक्षण के लिए निधियां जुटाई जा रही हैं।
World Wetlands Day 2025: विशेष आयोजन

इस वर्ष, विश्व आर्द्रभूमि दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है:
- शैक्षणिक कार्यक्रम: स्कूल और कॉलेजों में वाद-विवाद, पोस्टर प्रतियोगिताएं और कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं।
- सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय समुदायों को जागरूक करने के लिए रैलियां और सेमिनार आयोजित हो रहे हैं।
- पर्यावरण सफाई अभियान: झीलों, तालाबों और अन्य आर्द्रभूमियों की सफाई के लिए सामूहिक प्रयास किए जा रहे हैं।
- डिजिटल प्रचार: सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करके जागरूकता फैलाई जा रही है।
भविष्य की दिशा|World Wetlands Day 2025|
आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए:
- नीति सुधार: आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए सख्त कानून बनाए जाएं।
- शोध और विकास: आर्द्रभूमियों की संरचना, कार्य और उनके महत्व पर और अधिक शोध किया जाए।
- स्थानीय नेतृत्व: स्थानीय समुदायों को नेतृत्व की भूमिका देकर उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
- वैश्विक सहयोग: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्द्रभूमियों के संरक्षण के लिए सहयोग को बढ़ावा दिया जाए।
विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2025 हमें इस दिशा में सोचने और कार्य करने का अवसर प्रदान करता है कि हम आर्द्रभूमियों को बचाने और उनके महत्व को समझने के लिए क्या कर सकते हैं। यदि हम अभी कदम उठाते हैं, तो न केवल हम अपने पर्यावरण को बचा सकते हैं, बल्कि एक सतत और समृद्ध भविष्य की ओर भी बढ़ सकते हैं।